
पहाड़ी संस्कृति के ध्वजवाहक ‘रतन’ को हाटी समिति व जनसेवियों की भावभीनी श्रद्धांजलि…
15 वर्ष तक सिरमौर के गांव गांव में चलाए 6 राष्ट्रीय जन जागरण अभियान। 170 पंचायत प्रधानों ने जारी किए थे प्रशंसा पत्र…
Ashoka Times….6 October 2025
पांवटा साहिब- किल्लौड़ गांव में सिरमौर की पहाड़ी संस्कृति के मजबूत ध्वजवाहक एवं समाजसेवी रतन सिंह चौहान के निधन पर एक शोक सभा को संबोधित करते हुए 30 वर्षों से निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाकर जन सेवा करने वाली संस्था ‘त्रिमूर्ति प्राकृतिक चिकित्सा एवं शोध संस्थान’ के अध्यक्ष स्वामी शीशपाल उपाध्याय ने कहा कि चौहान के निधन से सिरमौर के सांस्कृतिक उत्थान को जो क्षति हुई है उसकी शायद ही भविष्य में प्रतिपूर्ति हो पाएगी।
उन्होंने कहा कि सिरमौर के पारंपरिक गीत जैसे हारूल, सिया हरण, पंडवानी, झूरी, झांगे, लामाण और छमकटों में तो रतन सिंह चौहान को महारथ हासिल थी ही इसके साथ ही उन्होंने सौ से अधिक गीतों की रचना भी की थी। जिनमें से दर्जनों गीत उन्होंने आकाशवाणी शिमला में रिकॉर्ड किए थे। आकाशवाणी से श्रोताओं की सिफारिश पर लगभग 35 वर्षों तक उनकी मखमली आवाज नए-नए सिरमौरी गीतों के माध्यम से रेडियो पर लगातार गूंजती रही।
समाजसेवी संस्था विश्व जागृति मंच की महासचिव करिश्मा ठाकुर ने कहा कि रतन सिंह चौहान ने मंच के बैनर चले छह राष्ट्रीय जन जागरण अभियान चलाए तथा सिरमौर के गांवों का बार-बार दौरा किया। राजीव गांधी पेयजल मिशन में तो भारत सरकार ने उनकी ही टीम को सिरमौर में ‘हर गांव पैयजल-जन भागीदारी के साथ’ जन जागरण अभियान चलाने के लिए चुना था। इसके अलावा सर्व शिक्षा अभियान, नशाबंदी, ग्रामीण स्वच्छता तथा हर व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य जैसे अभियानों को उन्होंने सिरमौर के गांव गांव में सफलतापूर्वक अपनी टीम के साथ चलाया। सिरमौर की 170 ग्राम पंचायतों के प्रधानों ने उनके योगदान की प्रशंसा करते हुए प्रशंसा पत्र जारी किए हैं।
बढ़ाना पंचायत के पूर्व प्रधान रंगीलाल ने कहा कि प्रसिद्ध संस्कृत कर्मी रतन सिंह चौहान एक आध्यात्मिक शख्सियत भी थे। उन्होंने आंज भोज के प्रसिद्ध तीर्थ सहस्त्र धारा के संरक्षण, संवर्धन तथा उत्थान के लिए आजीवन कार्य किया। तीर्थ का जो आज स्वरूप है उसमें चौहान के संघर्ष का उनका बहुत बड़ा योगदान है। जिसके लिए वह कई बार मुख्यमंत्री से भी मिले। उनकी श्री कृष्ण कीर्तन मंडली कोई वर्षों तक बिना किसी क्षेत्रीय और जातिगत भेदभाव के घर-घर में नि:शुल्क कीर्तन कर सनातन जागृति और भाईचारे का संदेश देती रही है।
*चौहान हाटी संस्कृति के मजबूत ध्वजवाहक थे: हाटी समिति*
इसके साथ ही केंद्रीय हाटी समिति ने बताया कि 84 वर्षीय रतन सिंह चौहान के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि वह एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। उनके निधन से हाटी समाज को अपूर्णीय क्षति हुई है। रतन सिंह चौहान हाटी संस्कृति के मजबूत ध्वजवाहक थे जिन्होंने ग्रामीण परिवेश से लेकर आकाशवाणी तक हाटी संस्कृति का ध्वज फहराया। आजीवन हाटी समाज के सांस्कृतिक उत्थान, सामाजिक कल्याण तथा धार्मिक उन्नति के लिए समर्पित रहे। हाटी समिति ऐसे महापुरुष को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है।